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Saturday 11 March 2017

प्रतिज्ञा


प्रतिज्ञा


भारत का राष्ट्रीय शपथ भारत गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ है। विशेष रूप सेगणतंत्रता दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विद्यालयों में एवम् अन्य स्थलों पर आयोजित सार्वजनिक समारोहों पर भागीदारियों द्वारा एक सुर में इसका उच्चार किया जाता है। आमतौर पर इसे विद्यालयों की पाठ्यपुस्तकों के शुरूआती पन्ने पर छपा देखा जा सकता है। प्रतिज्ञा को असल रूप से सन् 1962 में, लेखक प्यिदीमर्री वेंकट सुब्बाराव द्वारा, तेलुगू भाषा में रचा गया था। इसका पहला सार्वजनिक पठन सन् 1963 में विशाखापट्टणम के एकविद्यालय में हुआ था, बाद में इसका अनुवाद कर के भारत की सारी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में इसका प्रसार किया गया।

हिन्दीसंपादित करें

भारत मेरा देश है। सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं। मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ। इसकी समृद्ध एवम् विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है। मैं सदा इसका सुयोग्य बनने का प्रयत्न करता रहूँगा। मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों एवं गुरुजनों का सम्मान करूँगा और प्रत्येक के साथ विनीत रहूँगा। मैं अपने देश और देशवासियों के प्रति सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा करता हूँ। इनके कल्याण एवम् समृद्धि में ही मेरा सुख निहित है।

मराठी
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भारत माझा देश आहे।
सारे भारतीय माझे बांधव आहेत।
माझ्या देशावर माझे प्रेम आहे।
माझ्या देशातल्या समृद्ध आणि
विविधतेने नटलेल्या परंपरांचा मला अभिमान आहे।
त्या परंपरांचा पाईक होण्याची पात्रता
माझ्या अंगी यावी म्हणून मी सदैव प्रयत्न करीन।
मी माझ्या पालकांचा, गुरुजनांचा
आणि वडीलधार्‍या माणसांचा मान ठेवीन
आणि प्रत्येकाशी सौजन्याने वागेन।
माझा देश आणि माझे देशबांधव
यांच्याशी निष्ठा राखण्याची
मी प्रतिज्ञा करीत आहे।
त्यांचे कल्याण आणि
त्यांची समृद्धी ह्यांतच माझे
सौख्य सामावले आहे।

English

India is my country.
All Indians are my brothers and sisters.
I love my country and, I am proud of it's rich and varied heritage.
I shall always strive to be worthy of it.
I shall give my parents, teachers and all elders respect and treat everyone with courtesy .
To my country and my people, I pledge my devotion.
In their well being and prosperity alone, lies my happiness.
Jai Hind !

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